चार लकीरों में बंद
तस्वीरों के लोग जाने
क्या सोचते रहते होंगे
एक पल में फँसी
उनकी ज़िन्दगी के दिन
जाने कैसे कटते होंगे
कभी बहुत खुश हो
मैंने सोचा था कहीं
रुक जाये समय अभी
पर जाने कैसा लगेगा
जब और कुछ महसूस
ना कर पाऊँगा कभी
एक मोती को पा
तस्वीरों के लोग
मगन बैठे रहते हैं
पर समय के सागर में
ऐसे कितने और मोती
बिखरे रहते हैं
मैंने सोचा है
अब तस्वीरों से
दूर रहा करूंगा
यादों के मरघट से
रुके-थामे पलों से
दूर चला करूंगा
क्योंकि दुःख वाले पल
याद रखने लायक
कभी होते नहीं हैं
और ख़ुशी का एक पल पा
बुद्धिमान इंसान कभी
सोते नहीं हैं
तस्वीरों के लोग जाने
क्या सोचते रहते होंगे
एक पल में फँसी
उनकी ज़िन्दगी के दिन
जाने कैसे कटते होंगे
कभी बहुत खुश हो
मैंने सोचा था कहीं
रुक जाये समय अभी
पर जाने कैसा लगेगा
जब और कुछ महसूस
ना कर पाऊँगा कभी
एक मोती को पा
तस्वीरों के लोग
मगन बैठे रहते हैं
पर समय के सागर में
ऐसे कितने और मोती
बिखरे रहते हैं
मैंने सोचा है
अब तस्वीरों से
दूर रहा करूंगा
यादों के मरघट से
रुके-थामे पलों से
दूर चला करूंगा
क्योंकि दुःख वाले पल
याद रखने लायक
कभी होते नहीं हैं
और ख़ुशी का एक पल पा
बुद्धिमान इंसान कभी
सोते नहीं हैं
[photo by basu again. taken in dilli haat]