March 11, 2009

ए अजनबी ...


मेरा तुम्हारा क्या रिश्ता है, कुछ भी नही
फ़िर भी जाने तुम क्यूँ लगते हो अजनबी नहीं
तुमसे बातें ना करूँ तो कुछ कमी लगती है
ढलती रात भी कहीं बेवजह खलती है
गुज़रो तुम पास से तो कुछ कह तो नही पाता हूँ
पर जाने कहाँ से हजारों बातें गढ़ जाता हूँ

नामों के सांचों से अब तक परे रखा है
हक और अहम् जैसे शब्दों से बचा रखा है
जाने कैसे बुलाऊँ, कुछ कहते मन डरता है
पर बेनामी रिश्ते कोई कैसे बचा सकता है
याद करो कभी तो नाम चाहिए होते हैं
बातों के हाथ-पैर, मुकाम चाहिए होते हैं


कल यादें, बातें धुंधली हो जायेंगी
फ़िर ये कहानी कैसे पहचानी जायेगी

the song mera tumhara from 'socha na tha' is a beautiful one. :)

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