कुछ कहते हैं लोग
जब सपने टूट जाते हैं
कि इस रात की सुबह होगी
सपनों की कोई और रात होगी
पर सपने भी जिंदा होते हैं
मरने पे लहू रोते हैं
लाशों सी लद जाते हैं
कन्धों पर बस जाते हैं
पर कदम तो बढ़ाना होता है
ख़ुद को थोड़ा बहलाना होता है
कि कहाँ कोई अपना था
जो दिखा वो बस सपना था
जब सपने टूट जाते हैं
कि इस रात की सुबह होगी
सपनों की कोई और रात होगी
पर सपने भी जिंदा होते हैं
मरने पे लहू रोते हैं
लाशों सी लद जाते हैं
कन्धों पर बस जाते हैं
पर कदम तो बढ़ाना होता है
ख़ुद को थोड़ा बहलाना होता है
कि कहाँ कोई अपना था
जो दिखा वो बस सपना था
1 comment:
sapno ke apne pal..
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