June 14, 2009

half-baked ideas


सारे वादों को पूरा करना
अपने बस में नहीं होता
पर मन तो हर वादे को सोचे
काश वो पूरा होता
क्योंकि आधे छूटे वादे
दिल में घर कर जाते हैं
रोजाना की चीज़ों से जुड़
पल पल यादें बुलाते हैं
सोचा था मेरे सारे वादे
किसी दिन होंगे हमारे
याद आती है वो रात
जब कहा था देख कर तारे
आधा सा वादा कभी
आधे से ज़्यादा कभी
जी चाहे कर लूँ
इस तरह वफ़ा का

[me waiting for a weekend when jab we met doesn't come on the tv :P]


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