एक तितली से मैंने
कुछ रंग मांगे हैं
उजली बदरंग जिंदगी के
कुछ नए ढंग मांगे हैं
कि भारी मन पीछे छोड़
हवाओं से नाता जोड़
उड़ जाऊं दूर कहीं
छोड़कर ये बंजर ज़मीन
फिर तितली कि बातें सुन
उसके संग सपने बुन
कल मैं भी जी जाऊँगा
किसी को रंग दे पाऊँगा
कुछ रंग मांगे हैं
उजली बदरंग जिंदगी के
कुछ नए ढंग मांगे हैं
कि भारी मन पीछे छोड़
हवाओं से नाता जोड़
उड़ जाऊं दूर कहीं
छोड़कर ये बंजर ज़मीन
फिर तितली कि बातें सुन
उसके संग सपने बुन
कल मैं भी जी जाऊँगा
किसी को रंग दे पाऊँगा
2 comments:
This was so beautiful. :-)
@cuckoo
thank you :)
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