आज दिल दुखा है
तुम याद आए
अनजाने लोग हैं
अपने कहाँ ढूंढ पाए
जागे हैं, सोये नहीं
ऐसी है मेरी ये बेचैनी
दिन भी वही, रातें वही
साँसों में साँसे हैं नही
तुमको कहा कभी अपना
अब किसी से नाता नही
तुम हो तो सब है
तुम नही तो कुछ नही
तेरी सूरत को अब
तरसें भीगी पलकें मेरी
यादों को तेरी आज
ढूंढूं मैं हर कहीं
टूटा हूँ मैं
हारा इस जग से
दर्द में है गुम
अब हर दिशा मेरी
मीठे जो दो बोल बोले
आज मेरी मिठास नही
आँसू रोकूँ तो कैसे
ज़िंदगी खो गयी कहीं
गुम हो जाने दो
अंधेरे में कहीं
सो जाने दो
सपनों को सभी
ले लो हर खुशी
कुछ अब बाकी नही
बस आ जाओ एक बार
मैं रोता रहूँ यूं ही
......
partly lifted from yakeen and jalpari, both by atif aslam.
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