ये, तुम्हारी मेरी बातें
हमेशा यूँ ही चलती रहें
ये, हमारी मुलाकातें
हमेशा यूँ ही चलती रहें
बीतें यूँ ही हमारे सारे दिन रात
बातों से निकलती रहे नई बात
फ़िर वही बातें ले कर
गीत कोई हम लिखें
जो दिल को,
हाँ सबके दिल को छू ले
बातों सुरों में यूँ ही पिघलती रहें
बातें गीतों में यूँ ही ढलती रहें
तेरी आंखों की पलकों तले
हम कहीं दुनिया सजा लें
कि तेरी भवों की गांठों से
हम तुम बस संग बंधते रहें
तेरी मुस्कानों और शरारतों में
भूल जायें हम बाकी सारी बातें
मुंडेर पे अपने तारों को ताकते
गुज़रे अब अपनी सारी काली रातें
और जब चाँद पहरे से थक जाए
और सूरज तेरी हँसी ओढे आ जाए
तेरी बातों से हम जगा करें
कुछ हंस कर तुझे बाहों में भरें
सपनों को सारे बस अपने
हम दिन में तुझ संग जी लें
और बातों बातों में गले लग के
अपने जहाँ को करीब रख सकें
ये, तुम्हारी मेरी बातें
हमेशा यूँ ही चलती रहें
ये, हमारी मुलाकातें
हमेशा यूँ ही चलती रहें
तुम बैठी रहो बस यूँ ही
और हम तुम्हे तकते रहें
तुम कहती रहो बस कुछ भी
और हम भी कुछ बकते रहें
[the first para is from a song from the movie rock on!]
4 comments:
....बातों का सिलसिला..... दिल की मूक अभिव्यक्ति....लेकिन क्या कुछ नहीं कह दिया आपकी रचना ने... बस इतना..... अवर्णनीय... नये पोस्ट की प्रतीक्षा में....
@umesh
hmm.. okk..
nice poem :-) read a good hindi poem after quite a while...
@sharanya
:)
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