November 27, 2008

good morning...


जब सूरज पंख पसारे
धूमिल कर देता सब तारे
जब अधजगी आंखों को मीचे
आँखें छुपाती हथेली के पीछे
तुम खिड़की के परदे हटाती हो
और सूरज को देख मुस्काती हो
उजाले का सफर वहीँ शुरू होता है
तुम से ही बस सवेरा होता है

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