February 21, 2009

pursuit of happyness





खामखा मुस्कराऊँ
खामखा गुनगुनाऊँ
खामखा चलता जाऊं मैं
खामखा मचलता हूँ
खामखा फिसलता हूँ
खामखा उछलता हूँ मैं
मैं खुश हूँ आज खामखा

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खुशियाँ खोजने चला था मैं
कहीं दूर बंजर शहरों में
मिली तो बस ठोकरें
मायूसी के जंगलों में
सोचा था कुछ वजहें मिलेंगी
होंठ जिनसे मुस्करायेंगे
और गम के काले बादल
झट से छंट जायेंगे

पर अब रंग भी कुछ चमके हैं
ढंग भी कुछ आ धमके हैं
अब खुशियों से यारी है
छोड़ी फीकी बातें सारी हैं
खुशी की वजहें खोजना
ख़ुद से दूर जाना है बेवजह
अब तो बस मैं ही मैं हूँ
मैं खुश हूँ आज खामखा

[sorry for destroying the beauty of the wonderful ad :). but i do believe that happiness is just a dairy milk away :D]

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