February 19, 2009

let there be light


मैंने सूरज से कह दिया है
सुबह समय से जगा देना
कल फ़िर कुछ सपने सजाने हैं
आँखों से अँधेरा भगा देना
रात का रोना अब बहुत हुआ
सूजी आंखें किरणों से सहला देना
नए दिन में नई ज़िन्दगी हो
उजली सुनहरी कुछ बातें सिखला देना

1 comment:

Anonymous said...

अच्छी कविता है। हिन्दी में और भी लिखिये। यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।

कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है।