मैंने सूरज से कह दिया है
सुबह समय से जगा देना
कल फ़िर कुछ सपने सजाने हैं
आँखों से अँधेरा भगा देना
रात का रोना अब बहुत हुआ
सूजी आंखें किरणों से सहला देना
नए दिन में नई ज़िन्दगी हो
उजली सुनहरी कुछ बातें सिखला देना
सुबह समय से जगा देना
कल फ़िर कुछ सपने सजाने हैं
आँखों से अँधेरा भगा देना
रात का रोना अब बहुत हुआ
सूजी आंखें किरणों से सहला देना
नए दिन में नई ज़िन्दगी हो
उजली सुनहरी कुछ बातें सिखला देना
1 comment:
अच्छी कविता है। हिन्दी में और भी लिखिये। यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।
कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है।
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