who am i
September 25, 2008
वस्तुस्तिथि
सोचा था
किनारे पे
मिलेंगी घडियां
सुकून की ।
आंधियों से
लड़ने की
हिम्मत जुटाना
ज़िन्दगी अब ।
पर सुकून
कहाँ पाते
शाख से
टूटे पत्ते ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment