इतनी सारी मुलाकातों में
ढेर सारी बातों में
कुछ बातें बस अनकही सी
किसी कोने में रह जाएँगी
झिझकती शुरुआतों में
हलकी सी बरसातों में
कुछ बातें बस चुप सी
आँखों से बह जाएँगी
कल की हर सूरत को
साथ हमारा गवारा नही
कुछ बातें बेवजह सी
बीच में दीवार बन जाएँगी
फिर जब बिना मिले या कहे
राहें जुदा हो जाएँगी
कुछ बातें बस भूली सी
धुंधली यादों में याद आयेंगी
नाम को तरसते
कुछ प्यारे रिश्ते
अनकही बातों में
चुप मुलाकातों में
झिझकती बरसातों में
भूली यादों में
हाथों पे तुम्हारे
कुछ लिख जायेंगे
और तब शायद
देर हो चुकी होगी
No comments:
Post a Comment