August 25, 2009

जागरण


कहा था मत जोड़
तारों के संग नाता
सारी रात बकबक करें
उनका क्या जाता?

वो शैतान आसमानी हैं
पर तू तो संसारी है
उन्हे तो बस खेलना है
तुझपर जिम्मेदारी है

संगत क्या रंगत
देख आज लायी है
नींद तेरी आँखों से
कब से शरमाई है

आँखों को चुभती हैं
सूरज की किरनें प्यारी
रात तो जगा खूब तू
अब ऊंघने की है पारी

अब भी समय है
जग जा ओ भोले
तारों से नाता तोड़
रात थोडा सो ले

उल्लू रे, काहे जान गंवाई
रात इतना जागा तू
अब बेमौसम बरसात सी
दिन में नींद है आई

:P :P

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