हर कदम हैरान करती ज़िन्दगी के
रंग हजारों में होते होंगे
आधी ख़ुशी, आधे ग़म, आधे ना जाने क्या
के लम्हे बेशुमार होते होंगे
पर सोचो तो जो घड़ियाँ
तस्वीर को कुछ आकार देती हैं
वो तो बस उजले और सफ़ेद
दो ही रंगों में रंगी होती हैं
हाँ-ना, ना-हाँ में उलझे कई प्रश्नों में
हम ज़िन्दगी के जवाब ढूँढ़ते रहते हैं
दो रंगों की कूची हाथ में लिए
बाकी रंग तलाश करते रहते हैं
उजली भोर से फिर काली रात तक
ज़िन्दगी का सफ़र चलता है
उजली ख़ुशी से काले द्वेष तक
भावनाओं का सागर उमड़ता है
अन्दर का कालापन कभी बाहर की
उजली मुस्कान से ढक नहीं पाता है
उजले बादल से सपनों को कभी
कोई काला अँधेरा रोक नहीं पाता है
मेरे छाते में भी कुछ प्यारे से
उजले काले धब्बे रहते हैं
उलझे लिपटे से एक दूसरे से
कितने ही सवाल और जवाब रहते हैं
छाते की उजली-काली परछाईं तले
मैं खुद में झाँक सोचता रहता हूँ
अपने आकाश में इतने सूरज रख
अन्दर उजाला खोजता रहता हूँ
रंग हजारों में होते होंगे
आधी ख़ुशी, आधे ग़म, आधे ना जाने क्या
के लम्हे बेशुमार होते होंगे
पर सोचो तो जो घड़ियाँ
तस्वीर को कुछ आकार देती हैं
वो तो बस उजले और सफ़ेद
दो ही रंगों में रंगी होती हैं
हाँ-ना, ना-हाँ में उलझे कई प्रश्नों में
हम ज़िन्दगी के जवाब ढूँढ़ते रहते हैं
दो रंगों की कूची हाथ में लिए
बाकी रंग तलाश करते रहते हैं
उजली भोर से फिर काली रात तक
ज़िन्दगी का सफ़र चलता है
उजली ख़ुशी से काले द्वेष तक
भावनाओं का सागर उमड़ता है
अन्दर का कालापन कभी बाहर की
उजली मुस्कान से ढक नहीं पाता है
उजले बादल से सपनों को कभी
कोई काला अँधेरा रोक नहीं पाता है
मेरे छाते में भी कुछ प्यारे से
उजले काले धब्बे रहते हैं
उलझे लिपटे से एक दूसरे से
कितने ही सवाल और जवाब रहते हैं
छाते की उजली-काली परछाईं तले
मैं खुद में झाँक सोचता रहता हूँ
अपने आकाश में इतने सूरज रख
अन्दर उजाला खोजता रहता हूँ
[photography by basu.]
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