August 29, 2009

it shouldn't end


हम तो चले जा रहे थे
आंखों में लिए सपने कई
फ़िर जाने क्या हुआ
अचानक ठोकर लग गई
चलने में ही हम खुश थे
जाने कहाँ से मंजिल मिल गई

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