August 18, 2009
household banter ..
सुनते हो जी?
अब क्या हुआ? कौन सा पहाड़ टूट गया?
अरे ! मैं क्या हमेशा बुरी खबर ही लाती हूँ?
नहीं, बिलकुल नहीं | वो तो मैं यूँ ही 'सुनते हो जी' सुनकर ही अन्दर तक काँप जाता हूँ ..
देखो जी, फिर से झगडा मत शुरू करो..
मुझे कुत्ते ने काटा है?
तुमने मुझे कुत्ता कहा?
अरे श्रीमतीजी, आप कुछ बोल रही थी शायद..
लो, तुम्हारी बकवास बातों में मैं असली बात तो भूल ही गयी..
हाँ तो कहो ना..
वो पड़ोस वाली मिसेज गुप्ता कह रही थी कि हमारा राजू उनकी बेटी मुन्नी को घूरता रहता है ..
भगवन का लाख लाख शुक्र है!!
गजब बाप हो तुम, बेटा आवारागर्दी पे उतर आया है और तुम भगवन का शुक्र मना रहे हो?
और क्या? अच्छा है ना, लड़की को ही घूरता है, किसी लड़के से तो नैन-मटक्का नहीं करता!!
छि छि!! कैसी बातें करते हो! हमारा राजू वैसा नहीं है...
हाँ तो अच्छा है ना कि वैसा नहीं है ..
वो तो है पर उसका ये मतलब है कि लड़कियों को घूरता रहे!!
राजू है कहाँ, उससे बुलाओ तो ज़रा ..
राजू.....!
हाँ मम्मी..
बेटा, पापा तुमसे कुछ बात करना चाहते हैं..
राजू, वो पड़ोस में जो लड़का रहता है, उसका नाम क्या है?
लड़का?? वहां तो पिंकी रहती है .. रोज़ सुबह नौ बजे स्कूल जाती है..
और आती कब है?
चार बजे, और हर बुधवार पांच बजे डांस सीखने भी जाती है..
देखो तो जी!!! पूरा टाइमटेबल पाता है लड़के को!!
राजू बेटा, कब से चल रही है ये छान-बीन?
वो पापा मैं ... वो...
देखो बेटा, अब समय आ गया है कि मैं तुम्हे कुछ बातें बता दूं ..
जी पापा..
सच कहूं तो मुझे तुमसे ऐसी आशा नहीं थी.. मेरा बेटा हो कर ऐसी हरकत..
मैं तो कहती हूँ दो चपत लगाओ जोर से..
मैं बात कर रहा हूँ ना, तुम बीच में मत आओ ..
पापा, मैं वो ...
तुम्हे ज़रा भी शर्म नहीं आई ? बाप का नाम मिटटी में मिलाते हुए...
गलती हो गयी पापा .. आगे से कभी नहीं करूंगा...
आज के बाद मुझे कभी ये सुनने को नहीं मिलना चाहिए..
जी पापा..
लड़की घूरनी है, शौक से घूरो.. पर आईंदा कभी पकडे नहीं जाने चाहिए
हैं?
हैं?
वर्ना मैं तुम्हारी वो हालत करूंगा कि खुद कि शकल नहीं पहचान पाओगे..
जी पापा जी, जैसा आप कहें..
ये तुम क्या अनाप शनाप बके जा रहे हो?
अनाप शनाप? तुम्हे कितने सालों तक घूरा था मैंने, याद है?
हटो जी, तुम भी ना..
हाँ राजू पर एक काम करना, पहले उस से झगडा कर के देख लेना..
उस से क्या होगा पापा?
उस से पता चल जायेगा कि आगे तुम्हे कितना बहरा बनना पड़ेगा..
चुप भी रहोगे!
अच्छा पापा, मैं अब चलता हूँ |
कहाँ चले?
वो पापा आज बुधवार है, और पांच बज चुके हैं...
जाओ बेटा जाओ, विजयी भव !
बड़ा शेर समझ रहे होगे तुम तो अभी खुद को ..
और क्या, मेरा बेटा भी शेर बनेगा ..
पिताजी की पिटाई याद नहीं?
हाँ तो मैंने कब कहा राजू की पढाई पूरी हो गयी है ...
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2 comments:
:-)
और सब तो ठीक है पर ये तिरंगे का रंग क्यों इस्तमाल किया ? राजू की आज़ादी या फिर आपकी तो नहीं ? :P
अंतिम पंक्ति में एक गलती है, एक कि की जगह की होना चाहिए |
@cuckoo
corrected. the colors were randomly chosen :P!
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