किसी हँसी में लिपटी
किसी आंसू से चिपटी
कभी बारिश के शोर में
कभी उजली सी भोर में
कल के कुछ सपनों से
बीते कल के कुछ अपनों से
तारों से गढ़ी तस्वीरों में
हथेली की कुछ लकीरों में
सन्नाटे के सूनेपन में
भीड़ के भूरेपन में
हार की हताशा के पार
जीत की खुशी में बार-बार
कचोटती किसी आस से
चुभी हर फाँस से
आज, कल और कल में
दिन के हर छोटे पल में
चुपके से आए याद तेरी यहाँ
सिर्फ़ मैं जानूं, तू है कहाँ कहाँ
....
....
[the last two lines are from the song chhor gaye by atif aslam in his album meri kahani]
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