रात की चादर ओढ़े हम जागते रहे
तारों संग बेसिरपैर बातें करते रहे
और अब हमें जोर की नींद आई है
शुक्र है सुबह रौशनी का लिहाफ लायी है
------
रौशनी का लिहाफ ओढ़ हमने सोचा
अब अँधेरे से डरना बंद हो जायेगा
चमक से आँखें कुछ ऐसी चुंधिया गयीं
उजाले में नहाये नींद को तरसते हैं
तारों संग बेसिरपैर बातें करते रहे
और अब हमें जोर की नींद आई है
शुक्र है सुबह रौशनी का लिहाफ लायी है
------
रौशनी का लिहाफ ओढ़ हमने सोचा
अब अँधेरे से डरना बंद हो जायेगा
चमक से आँखें कुछ ऐसी चुंधिया गयीं
उजाले में नहाये नींद को तरसते हैं