January 18, 2009

hmmm...


मेरी सारी बातें, बिन कहे
तुम सुन लेते हो
जाने कैसे कुछ करके
मेरे ख्वाबों को रंग देते हो

समंदर किनारे रेत पे
महल गढ़ते तुम्हारे हाथों में
जाने कैसा जादू है
जब हाथ थामे हम चलते हैं
तो कुछ नया सा लगता है
समंदर भी उथला सा लगता है

तुम संग बैठ के
सूरज को हँसते हँसते
अलविदा कह देता हूँ
कि लाल किरणों से रोशन
तेरे चेहरे को देख
सुकून आ जाता है
लगता है भले रात हो जाए
और बाकी सब खो जायें
मेरे संग उजालों के काफिले हैं
मुझे मेरा सूरज मिल गया है

हमें इतना प्यार ना करो
कि हम मर जायें

हंस दो ज़रा प्यारी हँसी
कि हम तर जायें


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