March 2, 2009

partnership firm


हाथ थामे चलना हो

तो दोनों के दाएं हाथ संग कैसे
एक दाँया होगा, एक बाँया होगा
दूर खड़े दूरी को कोसने से
दूरियां भला मिटेंगी कैसे
तुम्हे चलना होगा, मुझे भी चलना होगा

जैसा-जैसा सोचो, वैसा तो होता नही
नहीं तो दुनिया में कोई कभी रोता नही
पर हर किसी के साथ तुम सा कोई होता नही
हर किसी के साथ और कोई रोता नहीं

फ़िर अब हमें रोकेगा कौन, और कैसे
तेरी धूप की सुनहरी चादर तले
काली स्याह रात खलेगी तो कैसे

फिर जब चलते चलते हम कहीं थक जायेंगे
चार हथेलियाँ मिलकर इक घरौंदा बनायेंगी
उसकी रेत में कहीं अपने सपने मिल जायेंगे
और सागर की लहरें उसका कुछ न कर पाएँगी

बस तुम हाथ ये थामे रहना

[i love those two lines of the song rehna tu from delhi-6.]

No comments: