September 16, 2008

बेनाम रिश्ते


इतनी सारी मुलाकातों में

ढेर सारी बातों में
कुछ बातें बस अनकही सी
किसी कोने में रह जाएँगी

झिझकती शुरुआतों में
हलकी सी बरसातों में
कुछ बातें बस चुप सी
आँखों से बह जाएँगी

कल की हर सूरत को
साथ हमारा गवारा नही
कुछ बातें बेवजह सी
बीच में दीवार बन जाएँगी

फिर जब बिना मिले या कहे
राहें जुदा हो जाएँगी
कुछ बातें बस भूली सी
धुंधली यादों में याद आयेंगी

नाम को तरसते
कुछ प्यारे रिश्ते
अनकही बातों में
चुप मुलाकातों में
झिझकती बरसातों में
भूली यादों में
हाथों पे तुम्हारे
कुछ लिख जायेंगे
और तब शायद
देर हो चुकी होगी


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