February 6, 2011

being one :)


अँधेरे की चादर में
उजली सी सिलवटें हैं
मेरी नींदों में कुछ
तेरी करवटें हैं

शाखों से गिरे
मेरे पत्तों की हरियाली से
तुम्हारी धूसर सुबहें
मटियामेट हो जाती हैं
कुछ तुम संग हम
धूमिल हो जाते हैं
कुछ हमारे संग तुम
खिल उठते हो

चलें तो तुम
पैरों को जकड़े रहते हो
रुकें तो तुम
कानों में कुछ कहते हो

अब इस से ज्यादा क्या कहें
सुबह उठते हैं हम
तो सूरज से पहले
तुम्हे खोजा करते हैं

photo by Crazy.


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