February 4, 2011

ashes to ashes

उनके सिराहने रात भर बैठे रहे
अधखुली आँखों से भोर का इंतज़ार करते रहे
फिर ओस के कुछ मोती सहेज
उनके कानों में पहना दिया

हाथों से ढक उन्हें बैठे रहे
शैतान सूरज से बचाते रहे
पर वो उठे, और सर झटक
सूरज की किरणों से हाथ मिला लिया

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