उनके सिराहने रात भर बैठे रहे
अधखुली आँखों से भोर का इंतज़ार करते रहे
फिर ओस के कुछ मोती सहेज
उनके कानों में पहना दिया
हाथों से ढक उन्हें बैठे रहे
शैतान सूरज से बचाते रहे
पर वो उठे, और सर झटक
सूरज की किरणों से हाथ मिला लिया
अधखुली आँखों से भोर का इंतज़ार करते रहे
फिर ओस के कुछ मोती सहेज
उनके कानों में पहना दिया
हाथों से ढक उन्हें बैठे रहे
शैतान सूरज से बचाते रहे
पर वो उठे, और सर झटक
सूरज की किरणों से हाथ मिला लिया
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