who am i
February 14, 2011
babbling bricks
ख़बरों
की दुकान होते हैं
सुना है दीवारों के कान होते हैं
अकेले
में कही बातें सुन लेते हैं
यादों की गठरी बना रख लेते हैं
इस कोठरी में पडा
तुमको
सोच रहा हूँ
अपने बीच की दीवारों से
तुम्हारी बातें पूछ रहा हूँ
...
February 6, 2011
:)
there was a time
when i was jealous
of your wings
how you could soar so high
and leave the weary earth
but now i know
you don't have to have wings
to fly high in my sky
Photo by Basu.
being one :)
अँधेरे की चादर में
उजली सी सिलवटें हैं
मेरी नींदों में कुछ
तेरी करवटें हैं
शाखों से गिरे
मेरे पत्तों की हरियाली से
तुम्हारी धूसर सुबहें
मटियामेट हो जाती हैं
कुछ तुम संग हम
धूमिल हो जाते हैं
कुछ हमारे संग तुम
खिल उठते हो
चलें तो तुम
पैरों को जकड़े रहते हो
रुकें तो तुम
कानों में कुछ कहते हो
अब इस से ज्यादा क्या
कहें
सुबह उठते हैं हम
तो सूरज से पहले
तुम्हे खोजा करते हैं
photo by Crazy.
February 4, 2011
ashes to ashes
उनके
सिराहने रात भर बैठे रहे
अधखुली आँखों से भोर का इंतज़ार करते रहे
फिर ओस के कुछ मोती सहेज
उनके कानों में पहना दिया
हाथों से ढक उन्हें बैठे रहे
शैतान सूरज से बचाते रहे
पर वो उठे, और सर झटक
सूरज की किरणों से हाथ मिला लिया
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