July 4, 2008

hmm..


आंखों में झाँक लें तेरी
तो आँखें सुस्ता लें
नहीं तो आंखों में मेरी
बूंदों की नही कमी अभी

पर शिकवा किसी से नही
कुछ किस्मत की भी है कही
आपको यहाँ ग़लत कैसे कहूं
जब हमें नज़र चुराने से फुर्सत नही?

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