November 10, 2008

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आधा अधूरा, बिखरा सा
अपने टुकडों को समेटता
कहीं किसी पल में अटका
टूटे सपनों को जकडे
खाली हथेली निहारता
हँसी को तरसता
भारी बादल सा
मन तुमको सोचता है

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