December 10, 2008

saving for a rainy day


कल हल्का मन उड़ चला था

बादलों के पार कहीं
कल खुशियों का थामा था हाथ
कल भीगा इक सपना जागा था
सतरंगी पलकों पे यहीं
कल फ़िर हुई थी थोडी सी बरसात

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