December 11, 2008

sorry!


क्या सुबह सूरज आँखें मलते

टकराता है हम से चलते-चलते?
'माफ़ करना' कहती हैं किरनें भोली
आपकी आंखें हमने जानबूझ कर नहीं खोली
हम भी फूटी किस्मत के हैं शिकार
सुबह सुबह उठने को हैं लाचार
पर आपसे ये सुबह खुशनुमा हो जाए
आप मुस्करा दें, जागरण ये धन्य हो जाए

[:P]

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