December 13, 2010

OCD

शैतान चाँद रोज़ रात
पोटली भर अनगिनत तारे
इधर उधर यूँ ही बिखरा
सारा आसमान गन्दा करता है
फिर सुबह बेचारा सूरज
गुस्से में लाल हो कर
हाथ में झाड़ू लिए
सब तारे साफ़ करता है

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