July 20, 2009

give and take

एक तितली से मैंने
कुछ रंग मांगे हैं
उजली बदरंग जिंदगी के
कुछ नए ढंग मांगे हैं
कि भारी मन पीछे छोड़
हवाओं से नाता जोड़
उड़ जाऊं दूर कहीं
छोड़कर ये बंजर ज़मीन
फिर तितली कि बातें सुन
उसके संग सपने बुन
कल मैं भी जी जाऊँगा
किसी को रंग दे पाऊँगा

2 comments:

Cuckoo said...

This was so beautiful. :-)

naween said...

@cuckoo

thank you :)