काली परछाइयाँदरारों से रिसतीख्यालों में चुभतीअंधेरों में पिसतीकुछ अनजान निशानियाँ
पर हर साए के पीछेकोई तो किरण हैसाए को पकडो तोमुट्ठी सफ़ेद हो जाती हैसब मन का भरम हैकालापन तो अन्दर हैये हैं किरणों में लिपटीउजली परछाइयाँ....
Post a Comment
No comments:
Post a Comment