June 14, 2008

लिखूं तो क्या


कुछ पिघली सी ओस

गालों पे छोड़
निशा अपना निशान
लिख ही जाती है
बदरा सी अंखियों में
उजली सी बहियों में
काजल की लीक कहीं
दिख ही जाती है

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