July 5, 2009

बात का बतंगड़


बोलती बातों की
बकर से बच के रहना
बातूनी शैतान हैं वो
बेकार की बेकारी दे जाएँगी
बस रह जाओगे तुम बरबस
बसा कर बयारों की बस्ती
बढ़-बढ़ के बकना बस फिर
बेसिरपैर की बातों से बौराना
बगैर बगलें झांके इसलिए
बंद करो ये बकर की बहस
बचकाना बचपना है ये बस
बतियाने से बदतर नहीं कोई बदमाशी

1 comment:

Aayush Shrivastava said...

The best random post ever...