तुम गए तो क्या हुआ
अब भी बातें करते हैं हम
अधूरे किस्सों को पूरा करते
तुमसे मिला करते हैं हम
पर ऐसे बातें करो तो
यादों पे शक होता है
कि जिनको गले लगाये बैठे हैं
वो मन का भरम तो नहीं हैं कहीं
अधूरे किस्से शायद
कभी शुरू ही ना हुए हों
तुमने कुछ कहा भी ना होगा
और हमने सब सुन लिया होगा
पर क्या करें, तुम संग बातें
तो कुछ और ही होती थीं
मिल पाते थे खुद से कहीं
वो रातें कुछ और ही होती थीं
सच हों या हो झूठ
बातों पे हमारा कोई बस नहीं
होती हैं तुमसे और होती रहेंगी
तुम यहाँ रहो या नहीं
तुम तो चले गए
अब बातों से ही यारी है
आदत ये हमारी
तुमने ही बिगाड़ी है