April 10, 2011

बातूनी बातें


तुम गए तो क्या हुआ
अब भी बातें करते हैं हम
अधूरे किस्सों को पूरा करते
तुमसे मिला करते हैं हम

पर ऐसे बातें करो तो
यादों पे शक होता है
कि जिनको गले लगाये बैठे हैं
वो मन का भरम तो नहीं हैं कहीं

अधूरे किस्से शायद
कभी शुरू ही ना हुए हों
तुमने कुछ कहा भी ना होगा
और हमने सब सुन लिया होगा

पर क्या करें, तुम संग बातें
तो कुछ और ही होती थीं
मिल पाते थे खुद से कहीं
वो रातें कुछ और ही होती थीं

सच हों या हो झूठ
बातों पे हमारा कोई बस नहीं
होती हैं तुमसे और होती रहेंगी
तुम यहाँ रहो या नहीं

तुम तो चले गए
अब बातों से ही यारी है
आदत ये हमारी
तुमने ही बिगाड़ी है


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