July 1, 2007

तुम चले गए


लिपटी इन हवाओं में
फिर आयी हैं कुछ तेरी यादें
लिपटी इन आंसुओं में
घुल चली हैं कुछ तेरी बातें

भूलने को कुछ ना रहा
पर यादें फिर भी हैं यहाँ
भूलूं कुछ तो डरता हूँ
ढून्ढून्गा फिर तुझे मैं कहॉ

अरसा गुजरा उन आँखों में
तस्वीर अपनी देखे हुए
अरसा गुजरा इन आंखों में
इक हंसी आये हुए

कुछ यादों को लगा कर गले
आंखें नम रहती हैं
कुछ कहना था तुमसे
अब बातों की कमी रहती है

हर पल अनायास कुछ बातें
तुमसे करने को मुड़ता हूँ
तेरे जाने की बात याद कर फिर
अन्दर ही अन्दर टूटता हूँ

अब शायद कभी तेरी हंसी
ना देख सकूंगा मैं
उस दिन की हंसी को संजोये
ना हंस सकूंगा मैं

क्या कहूं कैसा लगता है
जब तुम याद आते हो
और इस टूटे दिल को
बेबसी महसूस करा जाते हो

दूर से ही प्यार कर
कभी खुश हो लेता हूँ
कुछ पल के लिए ही सही
दिल को बहला लेता हूँ



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