June 16, 2008

twin blips


जो कहती थी बातें हजार
उन आँखों में नमी रहती है
कभी घंटों बका करते थे
अब बातों की कमी रहती है...

सपनों का मकाँ न बन सका
सूनी आंखें बस सूनापन निहारें
एक मकाँ अब भी है बन रहा
पर अब बस खड़ी होती हैं दीवारें...

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