September 8, 2009

let us see now!!


मैं सो जाता हूँ बातें करते
और बदमाश तारे गायब हो जाते हैं
सुबह होते ही जाने कहाँ
अपनी अलग दुनिया को चले जाते हैं
ये शैतानी मुझे बिल्कुल नही भाती
कल से मैं इसका इंतजाम करूंगा
देखता हूँ फ़िर कहाँ जाते हैं सारे
सोते वक्त आसमान में ताला लगा दूँगा

2 comments:

Anonymous said...

Gurudev,
it seems either you r sleeping a lot or u r not sleeping at all.. Fixation with stars moon sun..anyway its always difficult to understand poets...

naween said...

@anon

these are written in daytime :P