March 4, 2008

कल की बात


रुक जाए घडियाँ ये यहीं
बस जी लें हम ये ज़िंदगी
कल कि ना हो फिकर
ना हो दूरियों का गिला
बस आज इस एक पल में
सिमट आयें प्यार की सरहदें
हर खुशी की तमन्ना
कर लें हम अब यहीं

अपने अंधेरे को भूल
मैं तुझ संग झूम लूँ
एक पल को ज़रा
सीने में दबी हर बात
आँखों की जुबां से
कर जाऊं आज बयान

हाथ ये मेरा बस तुम
थामे रहो यूं ही
तुम्हारी कुछ लकीरों से कहीं
उलझी रहे मेरी लकीरें

कल हो जुदा हम, किसे पता
छुपा लूँ इस पल को कहीं
यादों के पहलू में
की कल फ़िर तुम जब न रहो
गले लगा इसे कहीं
मैं रोता रहूँ बस यहीं
....

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